मकर संक्रांति 2025: का पर्व: क्यों मनाते हैं यह विशेष त्योहार?
भारत में मकर संक्रांति का पर्व हर साल 14 या 15 जनवरी को बड़ी श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और शीत ऋतु के समापन का प्रतीक है। इसे प्रकृति, फसल और सामाजिक एकता का उत्सव माना जाता है। मकर संक्रांति का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और खगोलीय महत्व भी है। इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति को “उत्तरायण” का आरंभ माना जाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है। सूर्य के इस परिवर्तन को ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है। उत्तरायण का काल सकारात्मकता, ऊर्जा और शुभ कार्यों का प्रतीक है।

मकर संक्रांति का महत्व
1. सूर्य की उपासना: हिंदू धर्म में सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्य की दिशा उत्तरायण हो जाती है, जिसे शुभ और कल्याणकारी माना जाता है।
2. खेती और फसल का त्योहार: मकर संक्रांति नई फसलों के आगमन का जश्न है। किसान इस दिन अपनी मेहनत और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।
3. धार्मिक महत्व: मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, दान और पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से पापों का नाश होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।
मकर संक्रांति पर विशेष परंपराएं और रीति-रिवाज
भारत के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
पंजाब में लोहड़ी: मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है, जिसमें लोग अलाव के चारों ओर नाचते-गाते हैं।
गुजरात में उत्तरायन: गुजरात में यह पर्व पतंग उत्सव के रूप में जाना जाता है। यहां इस दिन पतंगबाजी का विशेष आयोजन होता है।
तमिलनाडु में पोंगल: तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जो कि एक चार दिवसीय फसल उत्सव है।
बिहार और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी पर्व: यहां मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन तिल और गुड़ का सेवन और दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
महाराष्ट्र में तिलगुल: महाराष्ट्र में इस दिन तिलगुल के लड्डू बांटे जाते हैं और “तिलगुल घ्या, गोड़ बोल” कहकर मीठे संबंधों की कामना की जाती है।
पर्व की गतिविधियाँ और उत्सव
पतंगबाजी का मेला
गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति के दिन आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से सज जाता है। लोग पतंगबाजी में हिस्सा लेते हैं और इस खुशी के मौके को मनाते हैं।
पारंपरिक पकवान
महाराष्ट्र में इस दिन तिलगुल (तिल और गुड़ से बने मिठाई) का आदान-प्रदान किया जाता है और कहा जाता है “तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला”। तमिलनाडु में इस पर्व को पोंगल के रूप में मनाया जाता है और विशेष पकवान पोंगल तैयार किया जाता है।
पवित्र स्नान और तीर्थ यात्रा
उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे क्षेत्रों में लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और मानते हैं कि इस दिन का स्नान उनके पापों को धो देगा। इस अवसर पर लोग तीर्थ यात्रा और मेलों में भी भाग लेते हैं।
निष्कर्ष
मकर संक्रांति केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि यह जीवन, नवजीवन और समुदाय का उत्सव है। यह पर्व लोगों को मिलकर एक साथ खुशियाँ मनाने और अपने सांस्कृतिक विरासत का आदान-प्रदान करने का अवसर देता है। मकर संक्रांति शुभेच्छा का यह पर्व भारतीय संस्कृति की समृद्धि का प्रतीक है और जो भी इसे मनाते हैं, उनके लिए यह खुशी और आशा की किरण बनता है।
मकर संक्रांति शुभेच्छा! यह पर्व आपके जीवन में समृद्धि, खुशियाँ और एक नई शुरुआत लाए।
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